सं 2031 वि. (1974) में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा ‘‘रामचरित मानस’’ की रचना के 400 वर्ष पूरे होने पर पूरे देश में मानस की चार सौवीं जयंती उत्साह के साथ मनाई गई। तदर्थ मध्यप्रदेश में ‘रामचरित मानस चतुश्शताब्दी समारोह समिति’ का 1970 में गठन किया गया। (पंजीयन क्रमांक 1726 दिनांक 8 जून 1970) चतुश्शताब्दी समारोहों की समाप्ति के बाद प्रसंगिकता की दृष्टि से वर्ष 2004 में परिवर्तन किया गया। समिति का परिवर्तित नाम ‘‘ तुलसी मानस प्रतिष्ठान मध्यप्रदेश ’’ है।
मध्य प्रदेश के विविध नैसर्गिक सुंदरता की तरह यहाँ की कला और संस्कृति भी बहुआयामी है। मध्य प्रदेश विभिन्न संस्कृतियों का संगम स्थल रहा है जैसा कि यह हिन्दुओं, जैनों, बौद्ध, मुस्लिम तथा विभिन्न जनजातियों का आश्रय स्थल रहा है। वास्तविकता में सभी प्रजातियों तथा विभिन्न कालखंडों ने पूरे प्रदेश में मंदिरों, स्तूपों तथा महलों के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
विशेष चयनित कलाकारों साहित्य मनीषियों को राज्य शासन द्वारा संस्थापित विभिन्न सम्मानों से सम्मानित करना, शासकीय कार्य व्यवहार में हिंदी भाषा के अधिकाधिक उपयोग का प्रचार-प्रसार, प्रोत्साहन करना, जिले से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण प्रासंगिक जानकारियों का संग्रहण कर जिला गजेटियर के रूप में प्रकाशन करने के साथ राज्य की कला संस्कृति व साहित्य का संरक्षण कर उसे प्रोत्साहन देना संस्कृति संचालनालय के प्रमुख कार्य हैं।