अयोध्या, भगवान राम की जन्मभूमि और भारत के सात सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। लखनऊ से लगभग 135 किमी पूर्व में सरयू के तट पर स्थित अयोध्या को प्राचीन काल में साकेत कहा जाता था। अयोध्या का उल्लेख महाकाव्य रामायण सहित कई किंवदंतियों और कहानियों में मिलता है। अथर्ववेद ने अयोध्या को 'देवताओं द्वारा निर्मित और स्वर्ग की तरह समृद्ध होने वाला शहर' के रूप में वर्णित किया है।
भारत की प्राचीन नगरियों में से एक अयोध्या को हिन्दू पौराणिक इतिहास में पवित्र सप्त पुरियों में अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका में शामिल किया गया है। अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या शब्द 'अ' कार ब्रह्मा, 'य' कार विष्णु है तथा 'ध' कार रुद्र का स्वरूप है।
17 अक्टुबर 2021रविवार विजयादशमी पर्व के उपलक्ष्य में प्रस्फुटन राम चरित मानस शुभारंभ समारोह अयोध्या कांड पर मानस प्रतियोगिता एवम् परिचर्चा कार्यशाला संगोष्ठी का आयोजन माननीय मंत्री महोदया सुश्री उषा ठाकुर दीदी( कैबिनेट मंत्री संस्कृति, पर्यटन एवम आध्यात्म )की अध्यक्षता,अति विशिष्ट अतिथि रामकथा मर्मज्ञ दीदी मंदाकिनी रामकिंकर जी अयोध्या, मुख्य अतिथि श्री इंदर सिंह जी परमार शिक्षा मंत्री,श्री मोहन यादव जी उच्च शिक्षा मंत्री मध्य प्रदेश शासन तुलसी मानस प्रतिष्ठान के माननीय श्री रघुनंदन शर्मा जी (कार्याध्यक्ष पूर्व सांसद भोपाल)के पावन सानिध्य में आयोजित किया जा रहा है। तुलसी मानस प्रतिष्ठान शिक्षा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में अन्य संस्थाओं के सहयोग से आगामी कार्य योजना स्वरूप प्रदेश के सभी जिलों में रामचरित मानस पर केंद्रित संभागीय कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। इसी क्रम में अयोध्या कांड पर आधारित प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन भी सुनिश्चित किया गया है।